बचपन इलाहबाद का----
जब भी आया याद मुझको मेरा बचपन
क्यों न जाने आँख नम होने लगी
देखते ही देखते हम तो बड़े होते गए
पर कहाँ वो मोहल्ला पार्क गलियाँ खोने लगी
कितने मौसम बदल कर ये उम्र है हमने गुजारी
आज फिर दशहरा दुर्गा पूजा याद आने लगी
छुट्टिया स्कूल में और शहर भर में है मेला
कोई भी दिखता नहीं हमको अकेला
मौसम अचानक खुशनुमा सा हो गया है
हसरते दिल की जवां होने लगी
जौहर
जब भी आया याद मुझको मेरा बचपन
क्यों न जाने आँख नम होने लगी
देखते ही देखते हम तो बड़े होते गए
पर कहाँ वो मोहल्ला पार्क गलियाँ खोने लगी
कितने मौसम बदल कर ये उम्र है हमने गुजारी
आज फिर दशहरा दुर्गा पूजा याद आने लगी
छुट्टिया स्कूल में और शहर भर में है मेला
कोई भी दिखता नहीं हमको अकेला
मौसम अचानक खुशनुमा सा हो गया है
हसरते दिल की जवां होने लगी
जौहर