Saturday, May 16, 2015

बचपन  इलाहबाद का----
जब भी आया याद मुझको मेरा बचपन 
क्यों न जाने आँख नम  होने लगी 
देखते ही देखते हम तो बड़े होते गए 
पर कहाँ वो मोहल्ला पार्क गलियाँ  खोने लगी 
कितने मौसम बदल कर ये उम्र है हमने गुजारी 
आज फिर दशहरा दुर्गा पूजा याद आने लगी 
छुट्टिया स्कूल में और शहर भर में है मेला 
कोई भी दिखता नहीं हमको अकेला 
मौसम अचानक खुशनुमा सा हो गया है 
हसरते दिल की जवां होने लगी 
                                  जौहर 


Tuesday, March 31, 2015

तकलीफ से हर शख्स गुरेज करता है 
एक दिल ही है जो दर्द हो तो तरप लेता है 
                                     जौहर 

Sunday, March 29, 2015

ज़िंदगी बेमज़ा हो गई है 
ज़िंदगी एक कज़ा हो गई है 
जबसे बिछुड़े  आप हमसे 
ज़िंदगी एक सजा हो गई है 
                 जौहर 

Saturday, March 28, 2015

सोंच  में डूबा हुआ चेहरा तुम्हारा -----?
लग रहा मुझको अपरचित ,किन्तु प्यारा 
खोजता हु आज भी  मै 
वही  चिर परचित  मंद सी मुस्कान 
किन्तु हारा ----
                           अशोक जौहरी 
                9450447602 

Thursday, March 26, 2015

हवा के झोंके से
खिढ़की के पार 
गमले में लगा फूल 
हवा के झोंके से 
लहरा गया 
हवा में गंध बिखेर कर 
जैसे गीत गा गया 
मै  अकेला था घर में  
और वह दिल बहला  गया 
                   ----अशोक जौहरी 

Wednesday, March 18, 2015

प्यार की तपती धरती पर
जब भी  बादल मंडराते है 

दुनिया वाले तब उस पर
क्यों अंगारे  बरसाते  है
                     

                     जौहर 

Tuesday, March 17, 2015

हर शब्द अपनी जुबां से हमने कहा नहीं 
वह हाल कौन सा है जो तुमने सुना नहीं 
                                      जौहर