स्वार्थ की आँधी
स्वार्थ की आंधी में देश खड़ा मौन क्यों
आदमी ने आदमी को इस कदर बांटा
हिलमिल कर रह रहा सदियों से भारती
कुर्सी पर बैठे जो उनका क्या घाटा
परदादे जिनके आपस में सगे भाई थे
उनके ही बच्चो में नहीं कोई नाता है
ये मेरा अल्ला , ये मेरा ईश्वर है
टुकड़ो में बंट गया विश्व का विधाता
स्वार्थ की आंधी में देश खड़ा मौन क्यों
आदमी ने आदमी को इस कदर बांटा
हिलमिल कर रह रहा सदियों से भारती
कुर्सी पर बैठे जो उनका क्या घाटा
परदादे जिनके आपस में सगे भाई थे
उनके ही बच्चो में नहीं कोई नाता है
ये मेरा अल्ला , ये मेरा ईश्वर है
टुकड़ो में बंट गया विश्व का विधाता