पेट भूका मेरा ,सर चकरा रहा
फिर भी पग यु सरक पर सरकता रहा
, जैसे मंजिल मेरी हो निकट ही कही
और मै और मै यु ही चलता रहा
. दस दिवस हो चुके सुखी रोटी मिले
अब न जाने कहा और कब वो मिले
पास दिखता नहीं कोई होटल कही
जहा से मुझे बासी जूठन मिले
और मै जी सकू जिंदगी दो घरी
और मै सह सकू ज़ुल्म की हत्करी ...
जिससे दिल और ये दिल तरपने लगे
और मै पाप की राह पर चल सकू
इस लिए ही नहीं पाप सस्ता बहुत
किन्तु इसके लिए ------
पेट पलता रहे साँस चलती रहे
और मै और मै यु ही चलता रहू.
फिर भी पग यु सरक पर सरकता रहा
, जैसे मंजिल मेरी हो निकट ही कही
और मै और मै यु ही चलता रहा
. दस दिवस हो चुके सुखी रोटी मिले
अब न जाने कहा और कब वो मिले
पास दिखता नहीं कोई होटल कही
जहा से मुझे बासी जूठन मिले
और मै जी सकू जिंदगी दो घरी
और मै सह सकू ज़ुल्म की हत्करी ...
जिससे दिल और ये दिल तरपने लगे
और मै पाप की राह पर चल सकू
इस लिए ही नहीं पाप सस्ता बहुत
किन्तु इसके लिए ------
पेट पलता रहे साँस चलती रहे
और मै और मै यु ही चलता रहू.