Friday, November 15, 2013

फ़ैल रही आग से देश को बचाओ

इनकी मत मानो ,इनको मनाओ
फ़ैल रही आग से देश को बचाओ
भटके कदम जो रस्ते पर लाओ
वक़्त कि पुकार है, फ़र्ज़ निभाओ
            फैला अगर देश में खुनी आतंक
            क्या होगा धरती कि माटी का रंग
            बहकाया किसने देश के सपूतो
            क्यों छेड़ रखी है घर में ही जंग
चाहे कश्मीर हो या हो   पंजाब
चाहे कोई धर्म हो कोई हो जात
कोई भी भाषा हो कोई विश्वास
सब माँ भारती के ही है  अंग
            सुन्दर सी बगिया, महकी पुरवैया
            गांव -गली चिहुक रही सोनचिरैया
            आए लुटेरे सब लूट कर चले गए
            अब देशी लुटेरो से इसको बचाओ।