चलती है ,जीवन की गाढ़ी
कभी अगाढ़ी,कभी पिछाड़ी
मत उदास हो
चाहे आंए
जीवन में विपदाए भारी ।
ये जीवन तो खेल है साथी ,
सुख दुःख का ये मेल है साथी
दुःख का दर्द तू आज भोग ले
कल सुख का प्रभात निश्चित है ।
आज शूल के पथ पर चल तू
कल राहो पर फूल खिले गे ।
जीवन का ये मर्म समझ तू
दुःख के मोल भोग सुख को तू
कभी अगाढ़ी,कभी पिछाड़ी
मत उदास हो
चाहे आंए
जीवन में विपदाए भारी ।
ये जीवन तो खेल है साथी ,
सुख दुःख का ये मेल है साथी
दुःख का दर्द तू आज भोग ले
कल सुख का प्रभात निश्चित है ।
आज शूल के पथ पर चल तू
कल राहो पर फूल खिले गे ।
जीवन का ये मर्म समझ तू
दुःख के मोल भोग सुख को तू