Friday, October 15, 2010

जीवन की गाढ़ी

चलती है ,जीवन की गाढ़ी

कभी अगाढ़ी,कभी पिछाड़ी

मत उदास हो

चाहे आंए

जीवन में विपदाए भारी ।

ये जीवन तो खेल है साथी ,

सुख दुःख का ये मेल है साथी

दुःख का दर्द तू आज भोग ले

कल सुख का प्रभात निश्चित है ।

आज शूल के पथ पर चल तू

कल राहो पर फूल खिले गे ।

जीवन का ये मर्म समझ तू

दुःख के मोल भोग सुख को तू

Tuesday, October 12, 2010

और खर्च न होती

सुबह --


एक और दिन जी लेने की ख़ुशी

दोपहर --

कमर तोर मजदूरी

शाम--

राहत और चाय की चुस्की

रात --

म्रत्यु के पालने में

टूट गए स्वपन सी

एक झपकी

खीज - खीज कर,

राह गया हूँ

कभी तो ऐसा वक़्त होता

जब क़र्ज़ ली हुई साँसे

और खर्च न होती.

ममता की डोर

ममता की जो डोर बंधी ,

मेरे तेरे बीच सखी ,

टूट न जाए ।

अंधर आये,

तूफानों में जग घिर जाए ,

अम्बर कांपे ,

धरती डोले,

मेरी तेरी प्रीत न टूटे .

एक तेरा नाम

मेरा जीवन ,तुमसे बिचुरा

जैसे सूनी शाम ।

मेरा योवन ,तुम बिन,

जैसे प्यासा जाम ।

यादो के तरप भरे

आंसू ने रखा

अधरों पे मेरे

एक तेरा नाम.

आंसू बन जाए

अपनी हमदर्द बाहों में

मुझे घेर कर

प्यारी सपनीली आँखों से

ऐसे न देखो

की मेरे दिल का दर्द

पिघल कर

आंसू बन जाए

प्यार बुजदिल कहलाए .

Monday, October 11, 2010

जब तब

जब -तब बस युही

मै उदास होता हूँ

चुप- चुप

बिन आंसू

मन ही मन

रोता हु ...

अभी -अभी

मस्जिद की गुम्बद के पीछे

सूरज

जब छितिज में डूबा है !

तो मैंने ,उसे डूबते हुए देखा है !

ठीक विसे ही

जैसे की तुम्हे

इस दुनिया की भीर में

खोते हुए देखा है

सबेरे -सबेरे

तुम सबेरे -सबेरे

मुझे ऐसी लगी

जैसे__

मेरी सारी खुशिया

सिमट कर

तुम्हारी आँखों में

हँस रही हो

मुस्कराना चाहता हूँ

तुमने अपने,अद्रश्य ,डरपोक हातो से

उदासीन साढ़ी के

मौन पल्लू से

पोछ दी है

मेरे चेहरे की मुस्कान!

चलो उठो

थोरा साहस करो

यह साढ़ी बदल डालो

मै मुस्कराना चाहता हूँ


कलि

यह गुलाब की कलि,

जो मैंने अभी ,

तुम्हारी क्यारी से तोरी है

बढ़ी शोख ,बढ़ी हसीन है!


जैसे__

तुम्हारी तस्वीर है !

Sunday, October 10, 2010

ये शाम

कितनी महकी और बहकी हुई है ये शाम

आज तो पी लो ,पियो ,पीते रहो बस जाम


कल न जाने फिर कहा हो हम ,कहा हो शाम

कल न जाने फिर ये महफ़िल भी मिले न जाम

देखो तारे पी रहे है चांदनी के जाम

आज तो जी लो ,जियो ,जीते रहो ये शाम


चांदनी भीगी नहाई,ख्वाब सी ये शाम

कर रही मदहोश सबको बिन पिए ही जाम

आज बहुत दिन बाद----

आज बहुत दिन बाद

तुम्हारी याद फिर आई

आज बहुत दिन बाद

हमारी आँख भर आई

कैसी है ,याद तुम्हारी ?

कैसे है ,मेरे आंसू ?

रोते रोते भी आज

हसी आई ॥

आज बहुत दिन बाद ...