न हम मरते न तुम
स्वर्ग सिधारे दो यूवक
अचानक किसी मोड़ पर
एक दूसरे से टकराए
एक ने दूसरे से पूछा
क्यू भई आप यहाँ कैसे आए
अजी बस पूछिए नहीं
हमारे दिल ने बहुत सदमे खाए
और जब दिल भर गया
तो हम यहाँ चले आए
हुआ य़ू --
कि एक दिन मुझे शक हो गया
कि मेरे दफ्तर जाते ही
कोई मेरे घर आता है
मेरी बेगम से इश्क लड़ाता है
आखिर कैसे सहता
था मै भी पुराना घाघ
एक दिन घर से निकला दफ्तर के लिए
और बेगम के दरवाजे भेड़ते ही
सामने वाले घर में जा कर
उसकी खिडक़ी पर जम गया
नज़रो के टेलिस्कोप को
अपने दरवाज़े पर फोकस किया
तो देखता हू ---
एक पुरुष मेरे घर में
ठीक मेरी तरह घुस गया
मेरी तो जमीन ही खिसक गई
होश गुम हो गया
मैं भाग कर वहा पंहुचा
तो घर में उसे कही नहीं पाया
हमारे दिल ने ये आखरी सदमा खाया
फिर मै वहाँ क्या करता
फ़ौरन स्वर्ग का टिकट कटाया
और थ्री टायर में यहाँ चला आया
लेकिन मित्र तुम ?
तुम यहाँ कैसे आए ?
मुझे -मुझे तो ठंडक ने मारा
अरे ढूढ़ा ही था तो ठीक से ढूढ़ते
फ्रिज खोल कर तो देखते
न हम मरते न तुम मरते
अशोक जौहरी