Sunday, October 31, 2010

एक और कदम

जल में अध् डूबे हम तुम

बाहों में बाहे लिपटी है

आँखों में मदिरा है तेरे

और गेसू में शबनम

फिर मेरे लव क्यों प्यासे है

क्यों जलता है तन मन

आओ
प्रिये इन बहकी राहो पर

लेले हम आज एक और कदम


आज बहुत दिन बाद

आज बहुत दिन बाद

तुम्हारी याद फिर आई

आज बहुत दिन बाद

हमारी आँख भर आई

कैसी है याद तुम्हारी

कैसे है मेरे आंसू

रोते-रोते भी हमको

आज हंसी आई ..


मीत

मिला तुम्हे जो मीत
न बिछुरे,
चाहे बुझ जाए हर दीप ।
गगन में
काले बादल उमर्णे
और घिर आए तम शीत ।
व्यथा में तू उलझा हो ,
होती हो हर पीर ,
किन्तु कभी जब
बिजली कढ़के ,

और समीप की प्रथ्वी उभढ़े ,
तो अपने को प् एकाकी ,
न हो तू भयभीत ,
कही पर दिखे तुम्हारा मीत ।
मिला तुम्हे जो मीत न बिचुढ़े....