Friday, August 15, 2008

गोरो के नापाक कदम से , भारत माँ पर दाग परे थे
भारत के बेटो ने अपने खूनो से दागो को धोया
तब जा कर आजाद हुए हम
आज़ादी आसान नही थी , आज़ादी आसान नही है
जीसने अपना खून बहाया, उसने अपना फ़र्ज़ नेभाया
आज़ादी आसान नही थी ,आज़ादी आसान नही है
आज़ादी की कीमत समझो ,आज़ादी के माने समझो
आज़ादी इस देश में आई, कुछ सालो की मेहमान नही है.
आज़ादी आसान नही है
आओ हम अपनी ताकत पहचाने
अपने रस्ते ढूढे ,अपनी मंजील जाने
अपने अपने फ़र्ज़ नेभाए

ये सारा भारत देश हमारा है
और भारत का हर युवक
इसकी आज़ादी का रखवारा है
आज़ादी हमें मिली थी फ़र्ज़ नेभाकर
खून बहा कर
आज़ादी आजाद रहे गी फ़र्ज़ नेभा कर
खून बहा कर...

रात अंधियारी

रात अंधियारी


घने बादल घिरे है

और ऐसे में तेरी आहात लिए है

कौन जाने

किस घढ़ी

तुम आओ हम तक

बादलो का बाँध टूटे

और नभ पर चाँद फूटे !